Keep your city clean, green and beautiful, appeals MBMC mayor Dimple Mehta

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Keep your city clean, green and beautiful, appeals MBMC mayor Dimple Mehta

“Keep your city clean, green and beautiful” appeals newly elected MBMC Mayor Dimple Vinod Mehta in her first press conference

Mumbai: Mira Bhayandar Municipal Corporation (MBMC) which is conducting a cleanly drive called “Swatcchata Hi Seva” for last two weeks, will be concluded on Gandhi Jayanti into a huge public rally on Oct. 2, 2017, MBMC Mayor Smt. Dimple Vinod Mehta told media persons addressing her very first press conference after becoming mayor here in the MBMC civic body office.

Mrs. Mehta further said, “To Keep our city clean, green and beautiful is not only government’s duty but everybody’s responsibility too. We have been conducting 15-day cleanly awareness campaign programs in the city where various issues of cleanliness are being raised such as… To keep the wet and dry waste separate, To maintain the public society premises clean, Do not use the 50 or less microns plastic bags and banning the urinal and toilet in open public places.”

In the PC MBMC deputy commissioner Mr. Panpate was presenting the campaign  information before the media but he was heavily questioned and interrupted by a section of reporters, like MBMC officers are only interested to make show off the cleanly campaign and do not listen to public grievances then what is the point of holding a drive and pc for the purpose? then pc meet to a sudden end.

Anyway, therefore this “Swatcchata Hi Seva” awareness campaign will be culminated into a ‘huge’ public rally of more than 50,000 to 1 lakh people at 9 am on Oct. 2, 2017 at different palaces in Mira-Bhayandar where maximum people are called upon to participate.

 

 

 

 

 

 

 

बोलीवुड की 25 वर्ष से कम उम्र की अभिनेत्रियाँ

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बोलीवुड की 25 वर्ष से कम उम्र की अभिनेत्रियाँ
आईपीएस यादव
बॉलीवुड फिल्म उद्योग में यह माना जाता है कि उम्र सिर्फ एक संख्या है। देखिये कुछ सुन्दर, प्रतिभाशाली
और युवा अभिनेत्रियाँ, जिनकी उम्र 25 वर्ष से कम है:

1. आलिया भट्ट
आलिया भट्ट ने एक बाल कलाकार के रूप में फिल्म संघर्ष में सिंगल स्क्रीन पर उपस्तिथि बनाई हैे 25
वर्ष की उम्र में ही आलिया ने उड़ता पंजाब, हा-ईवे और स्टूडेंट आॅफ दी इयर जैसी कई सुपर-ि
हट फिल्में और महाकाव्य प्रदर्शन किया हैे
2. दिशा पटनानी
दिशा ने हाल ही में एम्एस धोनी-दी अनटोल्ड स्टोरी में एक छोटा सा रोल किया हैे। इससे पहले दिशा एक भारतीय मॉडल थी, और 2013 की मिस इंदौर प्रतियोगिता में वे पहली रनर अप भी रह चुकी हैे 20 वर्ष की
उम्र में दिशा ने बहुत से विज्ञापनों में भी काम किया हैे उन्होंने टॉलीवुड फिल्म लोफर में अपनी पहले उपस्थिति दर्ज की थी।
3. किआरा अडवाणी
कॉमेडी नाटक के साथ शुरूवात और फिल्म फगली में अपने प्रदर्शन के लिए किआरा को सका-
रात्मक समीक्षा मिली है एक प्रसिद्ध फिल्म समीक्षक -तरण आदर्श के अनुसार, वे अपनी लुक्स और प्रतिभा से आपको अपनी ओर आकर्षित कर सकती हैं किआरा ने हाल ही में एम्एस धोनी-दी अनटोल्ड स्टोरी में धोनी
की धर्मपत्नी साक्षी का किरदार निभाया हैे
4. एल्ली अवराम
एल्ली हिंदी नहीं बोल सकती, इसके बावजूद उन्होंने फिल्म मिक्की वायरस में काम किया है
एल्ली ने हिंदी में उच्चारण के लिए औपचारिक प्र-िशक्षण लिया है। एल्ली 70 दिन तक रियलिटी शो
बिग बॉस-7 का भी हिस्सा रह चुकी है। इसकेअलावा उन्होंने कपिल शर्मा के साथ फिल्म किस
किसको प्यार करू मेंभी अभिनय किया हैे
5. पूजा हेज
पूजा मिस यूनिवर्स 2010 की सेकंड रनर अप रहचुकी है और उन्होंने 2012 में फिल्म मुगामूदी से
अपने करियर की शुरूवात की थी, जो एक तमिलसुपर हीरो फिल्म है पूजा ने 2014 में भी कही
तेलगु फिल्मों में काम किया है। हाल ही में पूजा नेऋतिक रोशन के साथ फिल्म मोहेनजोदारो में लीड
रोल किया हैे
6. अथिया शेट्टी
अभिनेता सुनील शेट्टी कीबेटी, अथिया शेट्टीने 2015 मेंफिल्म हीरोमें अपनीपहलीउपस्थितिदर्ज कीहै। 23 वर्ष
की यहअभिनेत्रीअपने स्टाइलऔर फिटनेस के लिएचर्चा में है। अथिया ने मय्बेल्लिन न्यूयॉर्क का भी
समर्थन किया हैे
7. कृति सैनॉन
फिल्म हीरोपन्ती की अभिनेत्री कृति एक मॉडल थी, जो अब अभिनेत्री बन गई है। इसके अलावा कृति ने रोहित शेट्टी द्वारा अभिनीतफिल्म दिलवाले मेंभी अभिनय किया है। वे कई टीवी विज्ञापनोंमें भी चित्रित हैं।
8.एमी जैक्सन
एमी ने सिर्फ अपनी सुन्दरता से सबका दिलजीत लिया है। 24 वर्ष की इस अभिनेत्री नेविभिन्न तमिल फिल्मों और बॉलीवुड फिल्मेंजैसे सिंग इस ब्लिंग, हाउसफुल-3 और फ्रीकीजैसी कई फिल्मों में अभिनय किया है।
9. रकुल प्रीत सिंह
रकुलने फिल्मयारियाँ से अपनेबॉलीवुड करियर की शुरूआत की है, वे अपनीसुन्दर मुस्कान और सुन्दरता के लिए लोकप्रिय हैं।बॉलीवुड में अपना करियरशुरू करने से पहले रकुल एक मॉडल थीं। वेसाउथ इंडियन फिल्मों और बॉलीवुड की एकलोकप्रिय अभिनेत्री हैं।
10. उर्वशी रौतेला
उर्वशी ने फिल्म सिंह साहब दी ग्रेट से अपनेबॉलीवुड करियर की शुरूआत की थी। उर्वशी को
2015 में मिसदीवा सेसम्मानितकिया गया था।2015 में उर्वशी ने मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में
भारत का प्रतिनिधित्व किया। 2014 में इन्होंने हनीसिंह की विडियो एल्बम लवडोज में भी अभिनय
किया। उर्वशी की संगीत विडियो गल बन गई भीअभी लोकप्रिय है।

अभिनेताओं के लिए यह डरावना समय है: इमरान हाशमी

www.hdfinewallpapers.comअभिनेताओं के लिए यह डरावना समय है: इमरान हाशमी

“राज़ 2, “वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई”, “जन्नत”, “मर्डर” जैसी फ़िल्मों से दर्शकों के दिलों में जगह बनाने वाले इमरान हाशमी का कहना है की अब स्टार के भरोसे फ़िल्में नहीं चल सकती जैसा कि पहले हुआ करता था. बीबीसी से रूबरू हुए इमरान हाश्मी ने इस साल फ़िल्मों की बुरी दशा पर टिपण्णी करते हुए कहा,”अभिनेताओं के लिए यह डरावना समय है. जिन फ़िल्मों से अच्छे कारोबार की उम्मीद की जा रही थी वो नहीं चली. इससे पता चलता है की स्टार अकेला फ़िल्म नहीं चला सकता, उसमें अच्छी कहानी का होना बेहद ज़रूरी है.”

स्टार से ज़्यादाज़रूरी है अच्छी कहानी
इमरान आगे कहते है कि,”चार-पांच साल पहले फ़िल्मकार और अभिनेता कहानियों को नज़रअंदाज़ कर दिया करते थे. कितने ही अभिनेताओं के बारे में सुना था की उनपर कोई भी कहानी चल जाएगी, पर अब साफ़ हो गया है की आज के दौर में दर्शक औसत दर्जे की फ़िल्में नकार देंगे.”
वहीं इमरान का ये भी मानना है की बड़े स्टार की फ़िल्मों का ना चलना स्टार सिस्टम को ख़त्म नहीं करेगा. “जब हैरी मेट सेजल” का उदाहरण देते हुए इमरान ने कहा की अगर शाहरुख़ खान और अनुष्का शर्मा फ़िल्म में ना होते और उनकी जगह कोई नए अभिनेता होते तो फ़िल्म का 10 प्रतिशत कारोबार भी नहीं हो पाता.

‘अब बुरी फ़िल्में नहीं करूंगा’
पिछले दिनों बॉलीवुड में नेपोटिस्म और भाई भतीजावाद की बहस पर इमरान हाश्मी ने अपने आप को नेपोटिस्म द्वारा पनपा अभिनेता माना, पर उन्होंने साफ़ किया की फ़िल्म इंडस्ट्री में सबसे सफल वो कलाकार हैं जो बाहर से आये है, जिनका फ़िल्मी परिवार से कोई ताल्लुक नहीं था जैसे अमिताभ बच्चन, शाहरुख़ खान और प्रियंका चोपड़ा. लम्बे समय से हिट फ़िल्म के इंतज़ार में बैठे इमरान हाशमी ने कहा कि उन्होंने कई ऐसी फ़िल्में की जिनसे वो इत्तेफ़ाक़ नहीं रखते थे लेकिन अब उन्होने तय किया है की वो घर पर बैठना पसंद करेंगे पर बुरी फ़िल्में, जिसकी कहानी पूरी तरह से तैयार नहीं हो और उन्हें पसंद नहीं आएगी वो नहीं करेंगे.

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Gandhi and Secularism

Gandhi and Secularism

Secularism is a term which is easily misunderstood, and perhaps nowhere does this have worse consequences than in India. The comparison is often made between India, described as a secular state, and Pakistan, founded as a homeland for the subcontinent’s Muslims. India’s secularism is ascribed in part to Gandhi, and it is certainly true that Gandhi wanted the Indian state to be the homeland for Hindus, Muslims, Sikhs and Christians alike. But Mark Tully has pointed out that, far from wanting a state in which religion is stripped from public life – most peoples’ concept of secularism – Gandhi’s hope was for a state in which truly religious values permeate all aspects of life, including the political sphere.

After his success in South Africa, Gandhi’s first public speech in India, at the opening of the Hindu University in Benares, demonstrates how his political discourse was saturated with religious vocabulary:

“Truth is the end; love a means thereto . . . The Golden Rule is to dare to do the right at any cost. No amount of speeches will make us fit for self-government, it is only our conduct that will fit us for it . . . If we trust and fear God, we shall have to fear no-one, not maharajahs, not viceroys, not the detectives, not even King George.”

Gandhi’s concept of religion was a pluralistic one:

“I believe in the fundamental Truth of all great religions of the world. I believe they are all God-given and I believe they were necessary for the people to whom these religions were revealed. And I believe that if only we could all of us read the scriptures of the different faiths from the standpoint of the followers of these faiths, we should find that they were at the bottom all one and were all helpful to one another.”

Gandhi’s vision of the secular state is a place where religious values and discourse are cherished and respected in all spheres of life, the public as well as the private, but in which no single religion is allowed to dominate the others. This latter clause prevented Gandhi from supporting the Hindu nationalist (Hindutva) movement which is now so prominent on the Indian political scene. The Hindutva groups see secularism as an enemy because it is a barrier to Hindu hegemony.

Opponents of secularism also include Islamic revivalist movements such as the Muslim Brotherhood in Egypt and the Jamaat-i-Islami in Pakistan. According to their ideology:

“Secularism was equated with godlessness, an absence or denial of religious values, rather than a separation of church and state in order to guarantee religious freedom in pluralistic societies.” (John Esposito, Islam – The Straight Path OUP 1998)

Unfortunately modern atheists too have misunderstood secularism, believing it means that no one should be allowed to employ religious language in their political discourse, which would have prevented Gandhi from speaking! Admittedly there is much to dislike about certain forms of religious discourse in politics, writing as I do from the standpoint of a European observing the US presidential elections. It shows me the merit of Alistair Campbell’s famous caveat to Tony Blair: “We don’t do God”.

Gandhi’s religious discourse was accepted by his audience, and was effective in motivating them politically because they were, by-and-large, religious people. The deployment of religious language in modern British political life would be doomed to failure, because it would alienate the atheists, it wouldn’t satisfy the fundamentalists, and it would fail to motivate the masses. Perhaps all we are left with is our own private faith to motivate our actions in the political sphere, and a recognition of Wittgenstein’s deep spiritual truth:

“Whereof one cannot speak, thereof one must be silent”.

“सर्वश्रेष्ठ बिल्डिंग बनाने से बेहतर काम है लोगों की जिंदगियाँ श्रेष्ठ बनाना” – एजी खोकर

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सर्वश्रेष्ठ बिल्डिंग बनाने से बेहतर काम है लोगों की जिंदगियाँ श्रेष्ठ बनाना” – एजी खोकर

“सर्वश्रेष्ठ बिल्डिंग बनाने से बेहतर काम है लोगों की जिंदगियाँ श्रेष्ठ बनाना” यूँ तो यह बात सौ टक्के सही है लेकिन अगर कोई बिल्डर यह बात कहे तो थोडा अटपटा लगता है. लेकिन सच यही है कि एजी ग्रुप के मालिक ए.जी. खोकर बिल्डर कम समाजसेवक अधिक हैं. मुंबई में तकरीबन 50 साल के जीवन में ए जी साहब ने खूब नाम और सामाजिक प्रतिष्ठा कमाई. आज उनके छोटे से परिवार में दो बेटे हैं, जो उनका व्यवसाय संभाल रहे है और वो उनके साथ खुशहाल जिन्दगी जी रहे  हैं.

राजस्थान के बीकानेर जिले के डूंगरपुर शहर में सन 1948 में जन्मे ए जी खोकर ने सन 1968 बीवीएससी (बेचलर ऑफ़ वेटरनरी साइंस), और 1969 बीएड (बेचलर ऑफ़ एजुकेशन) किया और फिर उन्होंने पहले कुछ साल सरकारी और प्राइवेट नौकरी की. फिर उन्होंने नौकरी छोड़ दी क्योंकि वो कोई ऐसा कारोबार करना चाहते थे जिसमें वो दूसरों को नौकरी दे सकें, ऐसे कारोबार की तलाश में 1974 में मुंबई आ गए. मुंबई में उन्होंने भवन निर्माण के क्षेत्र में कदम रखा और एजी कंस्ट्रक्शन ग्रुप नाम से अँधेरी, सान्ताक्रुज़ में कई बिल्डिंगों का निर्माण किया साथ ही साथ समाज सेवा भी करते रहे.

मुंबई के एजी समूह, सांताक्रूज़-(ई), संस्थापक ए.जी. खोकर का कहना है कि अब लोगों को अपना सर्वश्रेष्ठ जीवन बनाने में मदद करना मेरा मकसद बन गया है। पढ़ें आईपीएस यादव और आईएस कुरैशी के साथ लिया गया ए. जी. खोकर का यह दिलचस्प साक्षात्कार:

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बीकानेर से मुंबई तक की जीवन यात्रा

आप कहाँ के रहने वाले हैं और मुंबई में कब से हैं?

मैं राजस्थान के बीकानेर जिले के डूंगरपुर शहर का रहने वाला हूँ, मुंबई में मैं सन 1974 से हूँ.

आपका जन्म कब और कहाँ हुआ?

मेरा जन्म डूंगरपुर  में ही 11 जुलाई 1949 को एक साधारण परिवार में हुआ.

मैंने सूना है कि आपने 60-70 के दशक में बीवीएससी, बीएड किया, उस वक़्त इतनी उच्च शिक्षा हासिल करना बड़ी बात थी तो क्या परिवार में पहले से शिक्षा का माहौल था?

नहीं बिलकुल नहीं, उस बीएससी, बीएड करने वाला परिवार में अकेला सदस्य था. मेरे पिताजी भी अनपढ़ थे, लेकिन पढाई में मेरा इंटरेस्ट था, इसलिए पिताजी ने मुझे पढ़ाया, जबकि मेरे साथ में पढ़ने वाले कई लड़के पढाई बीच में ही छोड़ गए पर मैं आखिर तक पढता रहा.

जब आपने पढाई की तो क्या उसके आपको नौकरी मिली, इतनी पढाई लिखाई का सही उपयोग हुआ?

बिलकुल हुआ, मैं तो कहता हूँ कि कम से कम स्नातक तक हर आदमी को जरूर पढ़ना चाहिए, और स्नातकोत्तर कर लें तो और अच्छा. भलें उसका कुछ उपयोग हो या न हो, जरूरी नहीं पढ़-लिखकर आप नौकरी ही करें, आप कारोबार करें या जिस भी क्षेत्र में जाएँ शिक्षा-दीक्षा और ज्ञान आपके काम ही आती है, सामाजिक प्रतिष्ठा आपको सिर्फ और सिर्फ आपकी शिक्षा-दीक्षा, ज्ञान और अनुभव ही दिलाता है. यही वजह है कि मैंने एजी मिशन नाम से डूंगरपुर में स्कूल, कॉलेज खोले और यहाँ मुंबई में भी कुरेश एजुकेशन ट्रस्ट बनाया है जो समाज के गरीब लोगों के बच्चों को पढ़ाने का काम करेगा. मेरे अलावा इस ट्रस्ट में 6-7 लोग और हैं जो सब निस्वार्थ भाव से समाज का काम करना चाहते हैं. जल्द ही हम एक न्यूज़पपेर भी शुरू करेंगे जिसका नाम है फ़ज्र यानी शुबह जो हमारे समाज की सही तस्वीर पेश करेगा.

आपका एक एजुकेशन ट्रस्ट है -एजी मिशन जो पहले से शिक्षा के क्षेत्र में है, फिर आपने दूसरा -कुरेश एजुकेशन ट्रस्ट क्यों बनाया, दोनों में क्या फर्क है?

एजी मिशन मेरा निजी ट्रस्ट है, वह मेरे गाँव का है, उसमें भी कुछ गरीब बच्चों को फ्री शिक्षा देता हूँ, चाहे वो किसी भी समाज या धर्म के हों लेकिन कुरेश एजुकेशन ट्रस्ट हमारे समाज का है जिसमें सिर्फ समाज के लोगों के बच्चों को ही तालीम दी जाएगी.

निर्माण कांट्रेक्टर से शुरूआत, बाद में बने भरोसेबंद बिल्डर

 मुंबई में एजी कंस्ट्रक्शन ग्रुप की शुरुआत कब और कैसे हुई और अब तक इसकी क्या उपलब्धियां हैं?

मैं जब 1974 में मुंबई आया तो मेरे गाव, व करीबी लोग पहले से बिल्डर लाइन में थे, इसलिए मैंने भी येही लाइन चुनी, पहले मैं बतौर कांट्रेक्टर काम करता था लेकिन मैंने खुद बिल्डिंगें बनाने का काम शुरू किया. जिसमें मुझे अच्छी कामयाबी मिली, इज्जत भी मिली, आज एजी कंस्ट्रक्शन का मार्किट में नाम है, मेरे कारोबार में मेरे अधिकतर सहयोगी और कस्टमर जैन समाज के लोग हैं. जो मुझ पर आँख मूंदकर भरोसा करते हैं. उसकी वजह मेरी सोच-विचार हैं जो राष्ट्रवादी हैं, मुसलमान होने के बावजूद मेरा वेजिटेरियन और मानवतावादी होना है. मैं किसी एक धर्म के अच्छे, या दूसरे के बुरे होने की बात ही नहीं करता. मेरे लिए सभी धर्म एक सामान हैं. और राष्ट्रवाद और मानवता सर्वोपरि है.

ये शाकाहार, मानवता और राष्ट्रवाद की सीख और प्रेरणा आपको कहाँ से मिली?

सबसे पहली देन तो मेरे पिताजी और परिवार की ही है, परिवार के ही संस्कार ताउम्र आपका साथ देते हैं. उसके बाद तो फिर आपके लिए क्या अच्छा है, क्या बुरा है, यह आपकी समझ पर निर्भर करता है. यह समाज और जिंदगी आपको सब सिखा देती है.

बतौर बिल्डर आपका कैसा अनुभव रहा?

मैं एक ऐसा बिल्डर रहा हूँ जिसने हमेशा यह ख्याल रखा कि मेरी वजह से किसी का दिल न दुखे. मिसाल के तौर पर सान्ताक्रुज़ पूर्व में मैंने करीब 100 फ्लैट का रेजिडेंशियल काम्प्लेक्स एजी पार्क बनाया जिसमें रहने वाले 90 फीसदी जैन समुदाय के लोग हैं और यहाँ रहकर सभी खुश हैं.

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मानवता मेरा जीवन दर्शन, बनाया टाइमलेस महात्मा ट्रस्ट 

 आपका एक और ट्रस्ट है- टाइमलेस महात्मा ट्रस्ट, इसका क्या मकसद है और क्या आप करते हैं?

मैं शुरू से ही महात्मा गाँधी का भक्त रहा हूँ, और उनकी अहिंसा और मानवता की विचारधारा को कैसे विश्व स्टार पर फैलाया जाये, टाइमलेस महात्मा ट्रस्ट, बनाने के पीछे यही मकसद था. इसमें मेरे एक मित्र हैं अश्विनी करके वो मेरे साथ हैं, यह एक ग्लोबल ह्यूमन ट्रस्ट है जिसके जरिये हम 9 साल से हर साल केंद्र सरकार के प्रवासी भारतीय इवेंट में भाग लेते हैं. जहाँ हम एक बड़े स्टाल में गाँधी साहित्य का प्रदर्शन करते हैं, जहाँ विदेश से बड़े-बड़े गाँधी भक्त आते हैं. उन्हें हम गाँधी के जीवन और उनके विचारों से अवगत कराते हैं. यह व्यावसायिक लाभ के लिए नहीं है. जो भी खर्चा होता है, वह सब मैं खुद करता हूँ. मैं अपने किसी ट्रस्ट में डोनेशन भी नहीं लेता, मैं डोनेशन लेने या देने के सख्त खिलाफ हूँ.

जन्म से मुसलमान, स्वभाव से मानवतावादी, शाकाहार मेरी जीवन शैली!

 मुस्लिम समुदाय में एक ओर जहाँ रोज मुर्गी, बकरे, गाय और भेंस काटे जाते हैं, और आप अहिंसा की बात करते हैं, यह बात कुछ हजम नहीं होती?

शायद आपको यह जानकार ताज्जुब होगा कि मैं टोटली वेजिटेरियन हूँ. हंड्रेड परसेंट. (ठहाका)

लगता है जैन समाज में रहकर आप भी जैनी हो गए हैं. (ठहाका)

मेरे नेटिव प्लेस पर मैं एक बड़ा कॉलेज भी बना रहा हूँ जिसकी फाउंडेशन स्टोन जैन समाज के बहुत बड़े सम्मानित गुरु स्वर्गीय आचार्य श्री परिकर जी के नाम पर रख रहा हु, उनके प्रति मेरी अगाध श्रद्धा है. मैं दिल से उनको मनता हूँ, उनकी इज्जत करता हूँ. इसके लिए मैं, हमारा ट्रस्ट के लिए 125 एकड़ जमीन खरीद चूका हु. 2019 में जिस दिन आचार्य श्री की शताब्दी मनाई जाएगी उस दिन मैं उसकी ओपनिंग करूँगा.

शख्सियत जिसने राजीव गाँधी को सिक्कों से तोला

आपने राजस्थान में राजीव गाँधी को सिक्कों से तोला था. क्या आप उनसे मिले थे बातचीत हुई थी?

राजीव गाँधी आये थे बीकानेर राजस्थान 19 मार्च, 1991 तो मुझे सौभाग्य मिला उनका स्वागत करने का. तब मैंने उनको सिक्कों से तोला था. कार्यक्रम मेरे रेजिडेंशियल काम्प्लेक्स में ही था, जहाँ मेरा बंगलो भी है. राजीव गाँधी के बारे में क्या कहूं, वह इंडिया की एक गजब की पर्सनालिटी थे. उससे पहले 1983 में इंडिया के सेंट्रल मिनिस्टर थे मोहम्मद उस्मान आरिफ खान जो बाद में यू पी के गवर्नर बने. उन्होंने हमारे धर्मशाला, गेस्ट हाउस का उद्घाटन किया जो मेरे पिताजी ने बनाया था. उसके बाद 1984 में मैंने एक और धर्मशाला गेस्ट हाउस बनाया हाजी अब्दुल्ला गेस्ट हाउस उसका उद्घाटन राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री हरदेव जोशी ने किया था.

तब तो नेता और मंत्री जैसे बड़े लोगो के साथ आपके अच्छे सम्बन्ध थे, तो क्या ये आपके व्यवसाई होने के कारण था?

नहीं कोई सम्बन्ध नहीं था, वह सब तो संजोग से हो गया. वरना बड़े लोगो के साथ मेरा कभी कोई घनिष्टता नहीं रही. मैं कभी किसी के पास नहीं गया न तब और न अब. किसी को फ़ोन भी नहीं किया.

राजीव गाँधी के बारे में कुछ और बताएं?

वह हिन्दुस्तान के सबसे हैंडसम पीएम थे. मुझे उनसे बहुत नजदीक से मिलने का मौक़ा मिला. जब दो महीने बाद 21 मई, 1991 को मैंने उनके मर्डर की खबर पढ़ी तो मैं बहुत फूट-फूट कर रोया था. उस दिन मैं रतलाम में ट्रेन में सफ़र कर रहा था. तो जब स्टेशन आया तो वहां बड़ी अफरा-तफरी मची हुयी थी. सब लोग अखबार वाले के पीछे भाग रहे थे लेकिन किसी को कुछ पता नहीं कि हुआ क्या है, मुझे भी नहीं. किसी तरह मैं एक अखबार हासिल करने में कामयाब हुआ और मैं खबर पढ़कर सन्न रह गया, मैं जितना अखबार पढ़ते जा रहा था उतना ही रोते जा रहा था.

आजकल देश में जो हालत चल रहे हैं उसको लेकर आप क्या सोचते हैं? इस बारे में आप कुछ कहना चाहेंगे?

पॉलिटिक्स मैं मेरा जरा भी इंटरेस्ट नहीं है. फिर भी मैं लोगो से इतना ही कहना चाहूँगा कि अच्छे काम करें, अच्छे लोगों का साथ दें और अच्छे लोगों के साथ रहें, राजनीति और राजनेताओं से जरा दूर ही रहें तो ज्यादा अच्छा.

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Watch interview videos:

https://independentpublicityservices.wordpress.com/2017/08/27/to-help-people-build-their-best-lives-is-my-main-motto-a-g-khokar/

The Inn Express: Release your news and ads for our upcoming issue

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The Inn Express: Release your news and ads for our upcoming issue

To,
The Advertisers, Readers, Friends, Fans, Well-wishers, Patrons of The Inn Express, National Hindi Monthly
Magazine,
Mumbai.

Sub: Appeal To Release The Advertisement & News For Upcoming Issue Due On 15th Sep., 2017

Dear Sir/Madam,
There is no need to mention that The Inn Express is a popular Hindi Monthly Magazine of General News and Current Affairs, widely read, available on the newsstands across the country. The Inn Express is quite popular for its courageous pragmatic journalism particularly among youth and receives tremendous response and feedback from the young and adults to its innovative & afresh selection of news, interviews and special stories. We assure you to cater you the best services with quality content of news, need your kind support to promote the innovative vision of a journal and journalism of its own kind in terms of releasing your advertisement. Kindly feel free to communicate with us anytime on any social or commercial issue that you feel us to raise through our free, fair (unbiased) and fearless journalism in the publication.
Currently the editorial work is in progress for Sep. issue. Accepting the deadline for Ads. & News Material, Content is 7th of every month and publishing date is 15th of every month. Thus kindly hurry, why wait for the deadline? so send your matter well before that. Looking forward to your positive response!

Thanking you,
With best regards,
Truly Yours,

IS Qureshi,
Editor-Publisher,
Mob: 932136315,

IPS Yadav,
Exe. Editor,
Mob: 9324519916,

The Inn Express,
Mumbai.
Date: 10-08-2017