“सर्वश्रेष्ठ बिल्डिंग बनाने से बेहतर काम है लोगों की जिंदगियाँ श्रेष्ठ बनाना” – एजी खोकर
“सर्वश्रेष्ठ बिल्डिंग बनाने से बेहतर काम है लोगों की जिंदगियाँ श्रेष्ठ बनाना” यूँ तो यह बात सौ टक्के सही है लेकिन अगर कोई बिल्डर यह बात कहे तो थोडा अटपटा लगता है. लेकिन सच यही है कि एजी ग्रुप के मालिक ए.जी. खोकर बिल्डर कम समाजसेवक अधिक हैं. मुंबई में तकरीबन 50 साल के जीवन में ए जी साहब ने खूब नाम और सामाजिक प्रतिष्ठा कमाई. आज उनके छोटे से परिवार में दो बेटे हैं, जो उनका व्यवसाय संभाल रहे है और वो उनके साथ खुशहाल जिन्दगी जी रहे हैं.
राजस्थान के बीकानेर जिले के डूंगरपुर शहर में सन 1948 में जन्मे ए जी खोकर ने सन 1968 बीवीएससी (बेचलर ऑफ़ वेटरनरी साइंस), और 1969 बीएड (बेचलर ऑफ़ एजुकेशन) किया और फिर उन्होंने पहले कुछ साल सरकारी और प्राइवेट नौकरी की. फिर उन्होंने नौकरी छोड़ दी क्योंकि वो कोई ऐसा कारोबार करना चाहते थे जिसमें वो दूसरों को नौकरी दे सकें, ऐसे कारोबार की तलाश में 1974 में मुंबई आ गए. मुंबई में उन्होंने भवन निर्माण के क्षेत्र में कदम रखा और एजी कंस्ट्रक्शन ग्रुप नाम से अँधेरी, सान्ताक्रुज़ में कई बिल्डिंगों का निर्माण किया साथ ही साथ समाज सेवा भी करते रहे.
मुंबई के एजी समूह, सांताक्रूज़-(ई), संस्थापक ए.जी. खोकर का कहना है कि अब लोगों को अपना सर्वश्रेष्ठ जीवन बनाने में मदद करना मेरा मकसद बन गया है। पढ़ें आईपीएस यादव और आईएस कुरैशी के साथ लिया गया ए. जी. खोकर का यह दिलचस्प साक्षात्कार:
बीकानेर से मुंबई तक की जीवन यात्रा
आप कहाँ के रहने वाले हैं और मुंबई में कब से हैं?
मैं राजस्थान के बीकानेर जिले के डूंगरपुर शहर का रहने वाला हूँ, मुंबई में मैं सन 1974 से हूँ.
आपका जन्म कब और कहाँ हुआ?
मेरा जन्म डूंगरपुर में ही 11 जुलाई 1949 को एक साधारण परिवार में हुआ.
मैंने सूना है कि आपने 60-70 के दशक में बीवीएससी, बीएड किया, उस वक़्त इतनी उच्च शिक्षा हासिल करना बड़ी बात थी तो क्या परिवार में पहले से शिक्षा का माहौल था?
नहीं बिलकुल नहीं, उस बीएससी, बीएड करने वाला परिवार में अकेला सदस्य था. मेरे पिताजी भी अनपढ़ थे, लेकिन पढाई में मेरा इंटरेस्ट था, इसलिए पिताजी ने मुझे पढ़ाया, जबकि मेरे साथ में पढ़ने वाले कई लड़के पढाई बीच में ही छोड़ गए पर मैं आखिर तक पढता रहा.
जब आपने पढाई की तो क्या उसके आपको नौकरी मिली, इतनी पढाई लिखाई का सही उपयोग हुआ?
बिलकुल हुआ, मैं तो कहता हूँ कि कम से कम स्नातक तक हर आदमी को जरूर पढ़ना चाहिए, और स्नातकोत्तर कर लें तो और अच्छा. भलें उसका कुछ उपयोग हो या न हो, जरूरी नहीं पढ़-लिखकर आप नौकरी ही करें, आप कारोबार करें या जिस भी क्षेत्र में जाएँ शिक्षा-दीक्षा और ज्ञान आपके काम ही आती है, सामाजिक प्रतिष्ठा आपको सिर्फ और सिर्फ आपकी शिक्षा-दीक्षा, ज्ञान और अनुभव ही दिलाता है. यही वजह है कि मैंने एजी मिशन नाम से डूंगरपुर में स्कूल, कॉलेज खोले और यहाँ मुंबई में भी कुरेश एजुकेशन ट्रस्ट बनाया है जो समाज के गरीब लोगों के बच्चों को पढ़ाने का काम करेगा. मेरे अलावा इस ट्रस्ट में 6-7 लोग और हैं जो सब निस्वार्थ भाव से समाज का काम करना चाहते हैं. जल्द ही हम एक न्यूज़पपेर भी शुरू करेंगे जिसका नाम है फ़ज्र यानी शुबह जो हमारे समाज की सही तस्वीर पेश करेगा.
आपका एक एजुकेशन ट्रस्ट है -एजी मिशन जो पहले से शिक्षा के क्षेत्र में है, फिर आपने दूसरा -कुरेश एजुकेशन ट्रस्ट क्यों बनाया, दोनों में क्या फर्क है?
एजी मिशन मेरा निजी ट्रस्ट है, वह मेरे गाँव का है, उसमें भी कुछ गरीब बच्चों को फ्री शिक्षा देता हूँ, चाहे वो किसी भी समाज या धर्म के हों लेकिन कुरेश एजुकेशन ट्रस्ट हमारे समाज का है जिसमें सिर्फ समाज के लोगों के बच्चों को ही तालीम दी जाएगी.
निर्माण कांट्रेक्टर से शुरूआत, बाद में बने भरोसेबंद बिल्डर
मुंबई में एजी कंस्ट्रक्शन ग्रुप की शुरुआत कब और कैसे हुई और अब तक इसकी क्या उपलब्धियां हैं?
मैं जब 1974 में मुंबई आया तो मेरे गाव, व करीबी लोग पहले से बिल्डर लाइन में थे, इसलिए मैंने भी येही लाइन चुनी, पहले मैं बतौर कांट्रेक्टर काम करता था लेकिन मैंने खुद बिल्डिंगें बनाने का काम शुरू किया. जिसमें मुझे अच्छी कामयाबी मिली, इज्जत भी मिली, आज एजी कंस्ट्रक्शन का मार्किट में नाम है, मेरे कारोबार में मेरे अधिकतर सहयोगी और कस्टमर जैन समाज के लोग हैं. जो मुझ पर आँख मूंदकर भरोसा करते हैं. उसकी वजह मेरी सोच-विचार हैं जो राष्ट्रवादी हैं, मुसलमान होने के बावजूद मेरा वेजिटेरियन और मानवतावादी होना है. मैं किसी एक धर्म के अच्छे, या दूसरे के बुरे होने की बात ही नहीं करता. मेरे लिए सभी धर्म एक सामान हैं. और राष्ट्रवाद और मानवता सर्वोपरि है.
ये शाकाहार, मानवता और राष्ट्रवाद की सीख और प्रेरणा आपको कहाँ से मिली?
सबसे पहली देन तो मेरे पिताजी और परिवार की ही है, परिवार के ही संस्कार ताउम्र आपका साथ देते हैं. उसके बाद तो फिर आपके लिए क्या अच्छा है, क्या बुरा है, यह आपकी समझ पर निर्भर करता है. यह समाज और जिंदगी आपको सब सिखा देती है.
बतौर बिल्डर आपका कैसा अनुभव रहा?
मैं एक ऐसा बिल्डर रहा हूँ जिसने हमेशा यह ख्याल रखा कि मेरी वजह से किसी का दिल न दुखे. मिसाल के तौर पर सान्ताक्रुज़ पूर्व में मैंने करीब 100 फ्लैट का रेजिडेंशियल काम्प्लेक्स एजी पार्क बनाया जिसमें रहने वाले 90 फीसदी जैन समुदाय के लोग हैं और यहाँ रहकर सभी खुश हैं.
मानवता मेरा जीवन दर्शन, बनाया टाइमलेस महात्मा ट्रस्ट
आपका एक और ट्रस्ट है- टाइमलेस महात्मा ट्रस्ट, इसका क्या मकसद है और क्या आप करते हैं?
मैं शुरू से ही महात्मा गाँधी का भक्त रहा हूँ, और उनकी अहिंसा और मानवता की विचारधारा को कैसे विश्व स्टार पर फैलाया जाये, टाइमलेस महात्मा ट्रस्ट, बनाने के पीछे यही मकसद था. इसमें मेरे एक मित्र हैं अश्विनी करके वो मेरे साथ हैं, यह एक ग्लोबल ह्यूमन ट्रस्ट है जिसके जरिये हम 9 साल से हर साल केंद्र सरकार के प्रवासी भारतीय इवेंट में भाग लेते हैं. जहाँ हम एक बड़े स्टाल में गाँधी साहित्य का प्रदर्शन करते हैं, जहाँ विदेश से बड़े-बड़े गाँधी भक्त आते हैं. उन्हें हम गाँधी के जीवन और उनके विचारों से अवगत कराते हैं. यह व्यावसायिक लाभ के लिए नहीं है. जो भी खर्चा होता है, वह सब मैं खुद करता हूँ. मैं अपने किसी ट्रस्ट में डोनेशन भी नहीं लेता, मैं डोनेशन लेने या देने के सख्त खिलाफ हूँ.
जन्म से मुसलमान, स्वभाव से मानवतावादी, शाकाहार मेरी जीवन शैली!
मुस्लिम समुदाय में एक ओर जहाँ रोज मुर्गी, बकरे, गाय और भेंस काटे जाते हैं, और आप अहिंसा की बात करते हैं, यह बात कुछ हजम नहीं होती?
शायद आपको यह जानकार ताज्जुब होगा कि मैं टोटली वेजिटेरियन हूँ. हंड्रेड परसेंट. (ठहाका)
लगता है जैन समाज में रहकर आप भी जैनी हो गए हैं. (ठहाका)
मेरे नेटिव प्लेस पर मैं एक बड़ा कॉलेज भी बना रहा हूँ जिसकी फाउंडेशन स्टोन जैन समाज के बहुत बड़े सम्मानित गुरु स्वर्गीय आचार्य श्री परिकर जी के नाम पर रख रहा हु, उनके प्रति मेरी अगाध श्रद्धा है. मैं दिल से उनको मनता हूँ, उनकी इज्जत करता हूँ. इसके लिए मैं, हमारा ट्रस्ट के लिए 125 एकड़ जमीन खरीद चूका हु. 2019 में जिस दिन आचार्य श्री की शताब्दी मनाई जाएगी उस दिन मैं उसकी ओपनिंग करूँगा.
शख्सियत जिसने राजीव गाँधी को सिक्कों से तोला
आपने राजस्थान में राजीव गाँधी को सिक्कों से तोला था. क्या आप उनसे मिले थे बातचीत हुई थी?
राजीव गाँधी आये थे बीकानेर राजस्थान 19 मार्च, 1991 तो मुझे सौभाग्य मिला उनका स्वागत करने का. तब मैंने उनको सिक्कों से तोला था. कार्यक्रम मेरे रेजिडेंशियल काम्प्लेक्स में ही था, जहाँ मेरा बंगलो भी है. राजीव गाँधी के बारे में क्या कहूं, वह इंडिया की एक गजब की पर्सनालिटी थे. उससे पहले 1983 में इंडिया के सेंट्रल मिनिस्टर थे मोहम्मद उस्मान आरिफ खान जो बाद में यू पी के गवर्नर बने. उन्होंने हमारे धर्मशाला, गेस्ट हाउस का उद्घाटन किया जो मेरे पिताजी ने बनाया था. उसके बाद 1984 में मैंने एक और धर्मशाला गेस्ट हाउस बनाया हाजी अब्दुल्ला गेस्ट हाउस उसका उद्घाटन राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री हरदेव जोशी ने किया था.
तब तो नेता और मंत्री जैसे बड़े लोगो के साथ आपके अच्छे सम्बन्ध थे, तो क्या ये आपके व्यवसाई होने के कारण था?
नहीं कोई सम्बन्ध नहीं था, वह सब तो संजोग से हो गया. वरना बड़े लोगो के साथ मेरा कभी कोई घनिष्टता नहीं रही. मैं कभी किसी के पास नहीं गया न तब और न अब. किसी को फ़ोन भी नहीं किया.
राजीव गाँधी के बारे में कुछ और बताएं?
वह हिन्दुस्तान के सबसे हैंडसम पीएम थे. मुझे उनसे बहुत नजदीक से मिलने का मौक़ा मिला. जब दो महीने बाद 21 मई, 1991 को मैंने उनके मर्डर की खबर पढ़ी तो मैं बहुत फूट-फूट कर रोया था. उस दिन मैं रतलाम में ट्रेन में सफ़र कर रहा था. तो जब स्टेशन आया तो वहां बड़ी अफरा-तफरी मची हुयी थी. सब लोग अखबार वाले के पीछे भाग रहे थे लेकिन किसी को कुछ पता नहीं कि हुआ क्या है, मुझे भी नहीं. किसी तरह मैं एक अखबार हासिल करने में कामयाब हुआ और मैं खबर पढ़कर सन्न रह गया, मैं जितना अखबार पढ़ते जा रहा था उतना ही रोते जा रहा था.
आजकल देश में जो हालत चल रहे हैं उसको लेकर आप क्या सोचते हैं? इस बारे में आप कुछ कहना चाहेंगे?
पॉलिटिक्स मैं मेरा जरा भी इंटरेस्ट नहीं है. फिर भी मैं लोगो से इतना ही कहना चाहूँगा कि अच्छे काम करें, अच्छे लोगों का साथ दें और अच्छे लोगों के साथ रहें, राजनीति और राजनेताओं से जरा दूर ही रहें तो ज्यादा अच्छा.
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